परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 7 और सीटों को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है जिसमें 6 सीटें जम्मू संभाग से जबकि एक सीट कश्मीर संभाग से शामिल है।
केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के पुनर्गठन के लिए परिसीमन आयोग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 7 और सीटों को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है जिसमें 6 सीटें जम्मू संभाग से जबकि एक सीट कश्मीर संभाग से शामिल है। इसके लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर कुल विधानसभा सीटें बढ़कर 90 हो जाएंगी। आयोग ने अपने प्रस्ताव पर सभी सांसदों से 31 दिसंबर तक सुझाव देने को कहा है। परिसीमन आयोग की बहुप्रतीक्षित बैठक के साथ ही जम्मू कश्मीर में बीते 75 सालों से राजनीतिक उपेक्षा का शिकार जनजातीय समूहों और जम्मू संभाग को उसका सियासी हक मिलने की उम्मीद प्रबल हो गई है
आयोग के प्रस्ताव के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 7 सीटें बढ़ाई जाएंगी। इसके लागू होने के बाद जम्मू के खाते में विधानसभा की कुल सीटों की संख्या बढ़कर 37 से 43 हो जाएगी जबकि कश्मीर के खाते में 46 से बढ़कर 47 हो जाएंगी। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल सीटें 90 हो जाएंगी। इसमें अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 सीटें आरक्षित रखने का प्रस्ताव किया गया है।
ये बन सकते हैं नए विधानसभा क्षेत्र
- कठुआ- कंडी विधानसभा क्षेत्र
- सांबा- रामगढ़
- उधमपुर- मजालता
- किश्तवाड़- मड़वा
- राजौरी- सुंदरबनी
ऐसे होंगी सीटें
कुल सीटें- 90
- जम्मू- 43
- कश्मीर- 47
आरक्षित सीटें
- एसटी- 9
- एससी- 7
परिसीमन आयोग के प्रस्ताव में क्या?
इसमें 9 सीटें एसटी और 7 सीटें एससी के लिए आरक्षित की जाएंगी। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल सीटें 87 हुआ करती थीं लेकिन लद्दाख के अलग होने के बाद चार सीटें कम हो गईं और 83 ही बची थीं।
सोमवार को दिल्ली में परिसीमन आयोग की उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। यह बैठक आयोग की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में हुई। इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा, राज्य निर्वाचन आयुक्त के साथ नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ सांसद मोहम्मद अकबर लोन और सांसद हसनैन मसूदी मौजूद थे।
इन जिलों से बदलेगी कश्मीर की राजनीतिक सूरत
सूत्रों के मुताबिक परिसीमन आयोग ने अपने ड्राफ्ट में जम्मू संभाग के कठुआ, उधमपुर, सांबा, डोडा, किश्तवाड़, राजौरी जिलों में 1-1 सीट बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा कश्मीर के कुपवाड़ा में एक सीट बढ़ाने की बात है। दरअसल कठुआ, सांबा और उधमपुर हिंदू बहुल जिले हैं। यहां हिंदू समुदाय की आबादी 86 से 88 फीसदी के बीच है। इसके अलावा किश्तवाड़, डोडा और राजौरी में भी भले ही मुस्लिम आबादी अधिक है, लेकिन हिंदू भी 34 से 45 फीसदी तक हैं। जो चुनावी गणित बदलने का दम रखते हैं। भाजपा के आलोचकों का कहना है कि इस नए ड्राफ्ट को आबादी को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें उन जिलों को ज्यादा सीटें दी जा रही हैं, जहां हिंदू आबादी अच्छी संख्या में है।
क्यों किया जा रहा है परिसीमन?
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। इसके चलते जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की सीटें कम हो गई थीं। इसलिए यहां चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रराश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। पहले आयोग को इस साल मार्च तक रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन कोरोना के चलते इसे एक साल के लिए बढ़ाया गया है। यह परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर हो रहा है।