हरियाणा में इस विधानसभा चुनाव में कुछ अलग और दिलचस्प चेहरे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। डॉक्टर से लेकर, खिलाड़ी, लेक्चरर और विदेश में नौकरी करने वाले तक चुनावी दंगल में ताल ठोक रहे हैं। यह सत्ता का क्रेज ही है, जो कई युवा 1 करोड़ रु तो कोई लाखों की नौकरी छोड़कर गली-गली घूमकर मतदान की अपील कर रहा है। आइये जानते है ऐसे ही चुनिंदा उम्मीदवारों के बारे में :
नौक्षम चौधरी
कभी बेटियों की कम आबादी के लिए चर्चा में रहे हरियाणा में आईएएस मां और जज पिता की 28 साल की बेटी नौक्षम चौधरी राज्य के चुनावी गलियारे में चर्चा का विषय बन गई हैं। नौक्षम को सत्तारूढ़ बीजेपी ने पुन्हाना सीट से टिकट दिया है। विदेश में पढ़ी नौक्षम चौधरी ने टिकट की जंग में वर्तमान विधायक रहीस खान को पछाड़ा है। नौक्षम को टिकट दिए जाने से हर कोई आश्चर्य में है।
करीब 10 भाषाओं को बोलने में सक्षम नौक्षम ने ट्रिपल एमए किया है और उन्हें एक करोड़ रुपये की नौकरी का ऑफर मिला था। सुविधाओं से भरी नौकरी को प्राथमिकता देने की बजाय नौक्षम ने हरियाणा की सबसे पिछड़ी सीटों में शामिल पुन्हाना में चुनावी जंग लड़ने का फैसला किया है।
पुन्हाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही नौक्षम के लिए राजनीति की दुनिया एकदम अलग नहीं है। दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में छात्रसंघ नेता रहीं नौक्षम को राजनीति का चस्का वहीं से लगा था। मिरांडा हाउस के बाद वह तीन साल तक इटली और ब्रिटेन में रहीं। नौक्षम पीएम मोदी की लोकप्रियता से बेहद प्रभावित हैं।
बीते दिनों जब वो प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हुईं तो उनकी रैली में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया, जिसे आश्चर्यजनक माना गया।
अरुण बीसला
पेटीएम में इंजीनियर का पद छोड़कर अरुण बीसला बसपा के टिकट पर बल्लभगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। आर्मी के रिटायर्ड अधिकारी के पुत्र अरुण के दादा विधायक रह चुके हैं। आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट अरुण की अच्छी खासी तनख्वाह थी, लेकिन उसको छोड़कर अरुण अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
डॉ. राकेश कुमार
झज्जर सीट से भाजपा ने इस बार डॉ. राकेश कुमार को टिकट दी है। राकेश कुमार डिप्टी सीएमओ पद से वीआरएस लेकर राजनीति करने उतरे हैं। उन्होंने पिछली बार भी कोशिश की थी लेकिन समय से वीआरएस नहीं मिल सका था। वे झज्जर से कांग्रेस की मौजूदा विधायक गीता भुक्कल के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं।
संतोष दहिया
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर कार्यरत डॉ. संतोष दहिया चुनाव में कूद पड़ी। इसके लिए बकायदा छुट्टी ले ली। वह जजपा पार्टी से लाडवा सीट पर चुनाव लड़ रही हैं। संतोष दहिया 2014 में बेरी विधानसभा से इनेलो की सीट पर भी चुनाव लड़ चुकी हैं। वॉलीबाल की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दहिया ने 1991 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में नौकरी ज्वाइन की थी।
योगेश्वर दत्त और बबीता फौगाट
कुश्ती के मैदान में भारत के नाम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा करने वाले पहलवान योगेश्वर दत्त बरोदा सीट से चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने राजनीति के लिए हरियाणा पुलिस में डीएसपी का पद छोड़ा है। वहीँ मशहूर फोगाट पहलवान परिवार से ताल्लुक रखने वाली बबिता किसी पहचान की मोहताज नहीं है। उन्होंने अपनी प्रतिभा से पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई है। वो इंस्पेक्टर छोड़कर इस बार भाजपा के टिकट पर चरखी दादरी से चुनाव लड़ रही हैं।
संदीप सिंह
हरियाणा में ‘मिशन 75’ हासिल करने के लिए बीजेपी ने भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह पर पिहोवा से मैदान में उतारा है। संदीप सिंह की लोकप्रियता के आसरे बीजेपी पिहोवा सीट सीट को जीतना चाहती है। हरियाणा के अलग राज्य बनने के बाद से पिहोवा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है, जबकि दो बार इस सीट पर इनेलो भी जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। 2014 में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। इस बार संदीप सिंह का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार मंदीप सिंह से है।
गौरतलब है की हरियाणा में 21 अक्टूबर को मतदान होना है जबकि 24 अक्टूबर को चुनावों के नतीजे आएंगे। मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी सत्ता में दोबारा वापसी की कोशिश में जुटी है, जबकि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल भाजपा को सत्ता से बाहर करने की कोशिश में हैं।
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