कुछ बोलने और सोचने से पहले indiaFirst अपने पाठकों से अनुरोध करता है कि वो ये विडियो जरुर देखें| ये विडियो नहीं, एक उदाहरण है, एक सीख है, अपने आप में एक इतिहास है|
इस विडियो में जो दिख रहा है वो प्रधानमंत्री मोदी का नैसर्गिक स्वभाव है तथा ये उनके नेतृत्व कौशल और लीडरशिप का एक बेहतरीन नमूना है| इसी स्वभाव और उसी कौशल ने उन्हें एक प्रभावशाली लोकतंत्र का सबसे उत्तम प्रधानमंत्री बनाया है|
यह एक ऐसा पल है जो शायद विश्व दुबारा कभी नहीं देखेगा या फिर विश्व के दुसरे राष्ट्राध्यक्ष भी इस से सीख लेंगे| देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिना कुछ कहे अपने एक महत्वपूर्ण सिपहसालार इसरो चीफ, के सिवन को गले लगाकर ये संदेश दिया कि, “हमें पता होता है कि सफलता की खुशी को कैसे काबू में करना है, ये हमें सिखाया जाता है पढ़ाया जाता है| लेकिन ऐसा विरले ही होता है, की कभी कोई सीख दे कि अपनी असफलताओं से कैसे आगे बढ़ें|”
इस मौके पर मोदी ने कहा, “’अंतिम परिणाम भले ही हमारे अनुकूल न हो, लेकिन आपकी मेहनत, सामर्थ्य और सिद्धि पर पूरे देश को गर्व है। यहाँ मैं आपको उपदेश देने नहीं आया हूं। सुबह-सुबह आपके दर्शन आपसे प्रेरणा पाने के लिए किए हैं। आप अपने आप में प्रेरणा का समंदर हैं।“
प्रधानमंत्री वैज्ञानिकों की हिम्मत बढ़ाते हुए कहा, “पूरे देश को इसरो और उसके वैज्ञानिकों के संकल्प और सिद्धियों पर गर्व है। इसरो ने अनगिनत ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की है और देश हमेशा उनसे गर्वान्वित हुआ है। चंद्रयान-2 का अंतिम सफर आशा के अनुकूल नहीं रहा, लेकिन फिर भी इस सफर के दौरान कई ऐसे मौके आए जब देश आनंदित हुआ।
नमन है देश के ऐसे मुखिया को| आशा करते हैं जल्दी ही वो समय आएगा जब चंद्रयान 3, कामयाबी के झंडे गाड़ते हुए चाँद पर कदम रखेगा और उसके रोवर के पहियों में अंकित अशोक चक्र की छाप चाँद की धरती पर लगाकर इसरो के वैज्ञानिक एक बार फिर देश को गौरवान्वित करेंगे|

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