देश में घुसपैठियों का मामला काफी समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। घुसपैठियों को देश से बाहर करने की दिशा में सबसे पहले असम में एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस पर काम हुआ। लेकिन एनआरसी को लेकर यह विवाद हुआ कि बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को भी नागरिकता की लिस्ट से बाहर है, जो देश के असल निवासी हैं। जिसको लेकर इसमें अभी सुधार की प्रक्रिया जारी है।
नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship (Amendment) Bill) सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया। बीजेपी ने अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया था। सोमवार से बुधवार तक के लिए यह व्हिप है। सांसदों से दोनों सदनों में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) विपक्ष के शोर-शराबे के बीच सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक को मत-विभाजन के जरिये सदन की राय लेने के बाद पेश किया गया। 293 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जबकि 82 सदस्यो इसके विरोध में थे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पहले ही CAB को स्वीकृति दे दी थी। इसमें नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रावधान है। इसके ज़रिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसदों से कहा था कि यह विधेयक शीर्ष प्राथमिकता है, और उतना ही अहम है, जितना जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर लाया गया प्रस्ताव था।
इस बिल के तहत छह समुदायों – हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी, के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। बिल के ज़रिए मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा, ताकि अल्पसंख्यक वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके। मौजूदा समय में किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य है। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल करना है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। चूंकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है।
विधेयक पेश करते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और यह संविधान के अनुच्छेगद 14 का भी उल्लंकघन नहीं करता। विपक्षी पार्टियाँ सिर्फ इसको लेकर देश भर में भ्रम फैला रही है।
अमित शाह ने कहा “CAB उन शरणार्थियों के लिए है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक रहे हैं। ये देश मुस्लिम बाहुल्य है इसलिए इनके अल्पसंख्यक गैर मुस्लिम ही होंगे। ” उन्होंने कहा की CAB पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक (गैर मुस्लिम) को शरण देने के लिए है।
जबकि NRC अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के लिए है। जो अवैध घुसपैठियों है उन्हें नागरिकता दे कर वोटिंग का अधिकार क्यों दिया जाये, जबकि केवल शरणार्थि बन कर कोई भी देश में रह सकता है।