बिहार चुनाव रैली हो या बनारस के मंच हो या फिर मन की बात या फिर कोई दूसरे समारोह, हर जगह से पीएम मोदी ने कृषि बिल पर अफवाह को दूर करने की कोशिश की है। हर मंच से पीएम मोदी ने साफ किया है कि उनकी सरकार न तो मंडी खत्म कर रही है और न ही MSP, फिर आंदोलन किस बात का? ऐसे में लगता तो यही है कि कोई है जो किसानों को सियासी मोहरा बना रहा है
किसानों को गुमराह करती कुछ देशविरोधी ताकते ?
वैसे तो किसानों ने ये भी साफ किया है कि वो अपने मंच पर किसी भी राजनैतिक पार्टी को जगह नहीं देंगे। लेकिन ये आंदोलन जिस दिशा में जा रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि राजनैतिक पार्टियां, कुछ देश विरोधी तत्व और विदेशी ताकतें इस आंदोलन को हाईजैक करना चाहती हैं। जो किसानों के बीच लगातार मंडी खत्म कर दी जायेगी। MSP पर फसल नही खरीदी जाएगी ऐसी खबर उड़ाई जा रही है। हालंकि सच ये है कि सरकार न तो MSP समाप्त करना चाहती है और न ही नए कृषि कानूनों में मंडियों को समाप्त किए जाने का कोई प्रावधान है। वर्ष 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में किसानों की प्रति महीने औसत कमाई सिर्फ 6 हज़ार 400 रुपए है। यानी इनकी औसत सालाना कमाई सिर्फ 77 हज़ार रुपए है। हमारे देश में 86 प्रतिशत किसान छोटे किसानों की श्रेणी में आते हैं, यानी जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम जमीन है। और ये बिल उन किसानो के लिए वरदान साबित होगी। लेकिन कुछ लोग यही पंसद नही कर रहे है। तो कुछ लोगों के मन में ये चल रहा है कि जिस तरह से मोदी सरकार हर मसले का हल निकाल रही है उससे ये साफ हो रहा है कि पहले के लोग समस्या बनाये रखना चाहते थे बस इसीलिये इस बिल पर जोरदार सियासत देखी जा रही है।
किसानों के लिये किये काम से कुछ लोग परेशान
पिछले 6 साल से जिस तरह से किसानों के जीवन में सुधार के लिए मोदी सरकार ने काम किया है उससे भी कई लोगों परेशान है। सही वक्त पर यूरिया मिलना हो या फिर किसान के स्वास्थ की बात हो या फिर किसान को बीज और किस खेती से अधिक इंनकम होगी, ये बताना हो हर तरह की मदद मोदी सरकार से किसानों तक पहुंचा रही है उसपर अब कृषि बिल के तहत आजादी के बाद सबसे बड़ा फैसला कि किसान अपना माल किसी को भी कही भी बेच सकता है, ऐसा फैसला है जिससे किसान और मजबूत होगा और मोदी सरकार के साथ खड़ा दिखाई देगा जो कुछ लोगों को हजम नही हो रहा है और वो माहौल को खराब करने के लिए ठीक CAA की तरह ही इस बिल पर हंगामा खड़ा कर रहे है। जबकि ऑकड़े बता रहे है कि सरकार ने इस साल अभी तक सबसे ज्यादा फसल किसानों से खरीदी है और इस नए कानून का सबसे ज्यादा फायदा भी पंजाब के किसानों को मिला है फिर भी कुछ लोग किसानो को बहलाकर फुसलाकर आंदोलन को चालू रखना चाहते है। सिर्फ अपनी सियासी रोटी सेकने के लिये जो बहुत गलत बात है।
बरहाल खुद पीएम मोदी ने और सरकार के दूसरे मंत्रियों से साफ कर दिया है कि जो मांग किसान कर रहे है वो पहले ही इस बिल में मान ली गई है। लेकिन इसके बावजूद भी किसानों से बात करने के लिये भी सरकार तैयार है। लेकिन इस बीच किसानों को भी तय करना होगा कि बातचीत से ही बड़े से बड़े मसले का हल निकलता है।