सबको चौकाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने का फैसला किया। साथ ही साथ जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया। 70 साल पुरानी जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली आर्टिकल 370 को ख़त्म करने का साहसिक फैसला लेने की हिम्मत पहले की किसी सरकार ने नहीं दिखाई। यह मोदी का ही सपना था की एक देश, एक विधान; जिसको पूरा करने के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य को आर्टिकल 370 से मुक्त कर दिया गया।
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 समाप्त होने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद आतंकवादियों के गिरोह में भर्ती होने वाले युवाओं की संख्या में बहुत कमी आई है। आम तौर पर हर महीने औसतन 8 स्थानीय युवा आतंकी संगठनों में शामिल होते थे। किन्तु 5 अगस्त को धारा 370 समाप्त होने के बाद से अब तक महज 14 युवाओं के आतंकवादी संगठनों में शामिल होने की खबर सामने आई है।
इस हिसाब से यदि देखा जाए हर महीने लगभग 3 युवाओं ने आंतकवादी बनना मंज़ूर किया है। खुफ़िया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 2016 में बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पाकिस्तान द्वारा पाले हुए आतंकियों के प्रचार के शिकार होने वाले युवाओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ था। अधिकारी ने कहा कि इस वर्ष 27 नवंबर तक पाकिस्तान ने 2835 बार सीजफायर का उल्लंघन किया है।
अधिकारी ने बताया कि केवल नवंबर में ही 268 बार बॉर्डर पार से गोलाबारी की गई है। पूरे वर्ष में 158 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिया है, जबकि इसी दौरान 172 आतंकवादी घटनाएं हुईं हैं। बॉर्डर पार से फायरिंग और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में आर्मी के भी 38 जवान और अधिकारी अब तक वीरगति पा चुके हैं।
रक्षा एजेंसियों द्वारा इकट्ठा किए गये आंकड़ों के अनुसार 2019 से जिन 110 युवाओं ने आतंकवादी संगठनों को ज्वाइन करने का फैसला लिया उनमें ज्यादातर दक्षिण कश्मीर से थे। इनमें पुलवामा ज़िले से अकेले 36 युवा शामिल हैं। 2017 में 128 स्थानीय युवाओं नें आतंकियों के साथ हाथ मिलाये थे और ये संख्या 2018 में बढ़ के 209 हो गई थी। रक्षा एजेंसियों का कहना है कि हालांकि जब से वहां बंदिशें लगी हैं, सितंबर में 8 और अक्टूबर में 6 आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए थे।

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