एक बार फिर से देश में आज निजीकरण को लेकर हंगामा खड़ा हुआ है। मोदी सरकार हो या देश के अर्थशास्त्रियों की राय, दोनो इस बात पर सहमत है कि निजीकरण से ही देश की आर्थिक हालात में बेहतर नतीजे मिल सकते है तो दूसरे तरफ सिर्फ विरोध के लिये विरोध करने वाला विपक्ष है जो कल तक निजीकरण को ठीक कहता था वो आज निजीकरण के खिलाफ खड़ा है।
वक्त की मांग निजीकरण
इसमें कोई राय नही है कि आज वक्त की मांग निजीकरण है क्योकि निजीकरण के चलते ही आर्थिक मोर्चे को मजबूत किया जा सकता है निजीकरण देश में न केवल रोजगार बढ़ाते है बल्कि देश विकास में भी एक अहम रोल अदा करता है। उदाहरण के तौर पर आप समझ सकते है कि जिस तरह से हवाई अड़्ड़ो की देखरेख प्राइवेट कंपनियां करती है उससे लोगो को सुविधा तो बेहतर मिल ही रही है बल्कि न जाने कितने लोगो को रोजगार भी मिला है साथ ही देश का इंफ्राटेक्चर भी मजबूत हुआ है। आज रेलवे में आप इतनी सफाई देख रहे है उस सब में नीजिकरण का बहुत बड़ा रोल रहा है। हालाकि सरकार ये भी साफ कर चुकी है कि देश की बेहतरी के लिए नीजिकरण का प्रयोग बढ़ाया जायेगा लेकिन कुछ अहम विभाग है जो हमेशा भारत सरकार के पास ही रहेगी। इतना ही नही किसान ने जब से खेती में निजीकरण को अपनाया है तब से उसकी आय में काफी फर्क पड़ा है। पंजाब के किसान आज अगर सबसे ज्यादा अमीर हुए है तो वो इसी के चलते। इस लिये नीजिकरण का विरोध आज के वक्त बेइमानी है इससे न केवल लोगो को बेहतर सुविधा मिलती है बल्कि जनता का काम भी तेजी से होता है। मोदी सरकार में तो निजीकरण को बढ़ावा जरूर दिया गया है लेकिन उशपर सरकार की सीधी नजर होती है और जरा सी भी गडबड़ी पाये जाने पर सरकार की तरफ से कठोर कर्यवाही के कई उदाहरण भी पेश किये गये है जो ये बताता है कि सरकार सिर्फ हवा में तीर नही चलाती बल्कि निजीकरण से बेहतर सुविधा लेती है और जो नही दे पाता उसके खिलाफ सख्त कदम उठाया जाता है।
देश के निर्माण में विपक्ष का व्यवधान
मजे की बात तो ये लगती है निजीकरण का विरोध वो लोग कर रहे है जो कभी इसी की तारीफ में कसीदे पढ़ते थे और जोर जोर से चिल्लाते थे कि बिना निजीकरण के देश का विकास अधूरा है। शायद आपको वो दिन याद होगे। जब विपक्ष इसे अपना सबसे बड़ा हथियार चुनाव के वक्त बनाता था और बोलता था कि देखो हमने देश की आर्थिक हालात में निजीकरण के जरिये सुधार कर दिया है। लेकिन आज वही आरोप लगा रहा है कि देश को बेचा जा रहा है। कारण साफ है कि आज निजीकरण जरूर हो रहा है लेकिन पूरी ईमानदारी से बिना किसी कटमनी के जबकि उनके जमाने में निजीकरण बिना कमीशन के नही होता था उदाहरण के तौर पर 2जी, कोयला सहित कई घोटाले है जो ये बताते है कि आज विपक्ष के पेट में क्यो दर्द हो रहा है। क्योकि देश में बिना कमीशन के राफेल भी देश आ चुका है तो बिना कमीशन के तेजी के साथ देश में हाइवे बन रहे है जो ये बताते है कि निजीकरण तब भी बुरा नही था और आज भी नही, बस मोदी सरकार और विपक्ष की नियत में फर्क है ।
यानी अब आप समझ गये होगे कि आखिर विपक्ष आज निजीकरण के खिलाफ क्यो है क्योकि उसे साफ पता है कि सरकार एक बेहतर और पारदर्शी तरीके से निजीकरण को बढ़ावा दे रहा है जिससे सिर्फ देस का विकास हो रहा है।