मै रामलीला मैदान हूँ, मेरे दामन से आजादी के बाद से लेकर अबतक न जाने कितने नेताओं ने हुंकार भरी है। जिससे कई दिग्गज सत्ता के शिखर तक पहुंच गये, और न जाने कितनों की सत्ता जमीन पर आ गई। लेकिन ये कहते हुए मुझे काफी हर्ष हो रहा है, कि पीएम मोदी का पहला ऐसा भाषण था, जो न किसी की सत्ता को हिलाने के लिये था और न ही सत्ता पाने के लिये था, बल्कि देश की जनता ही नही समूचे विश्व को एक संदेश था कि भारत में सभी धर्म जाति, मिलजुल कर रहते है और देश के विकास के लिये एक साथ खड़े होते है।
मोदी के भाषण से टूटी भ्रम की दीवार
मैने अपने ऑचल से हर कोई नेता को अपनी पार्टी की जयकार सुनते देखा था, पर कल जब पीएम मोदी ने भाषण की शुरूआत की, तो उन्होने देश की एकता और मजबूत हो इसकी बात की। साथ ही साथ एक वर्ग को बड़े सरल तरीके से संदेश दिया कि CAA हो NRC किसी भी कानून से आपके अधिकार को कम करने के लिये नही बनाया गया है। उन्होने ये भी साफ किया कि उनकी सरकार ने जो भी काम किया वो धर्म पूछ कर नही बल्कि देशवासियों के बारे में सोच कर किया। फिर वो जनधन योजना हो या फिर उज्जवला योजना,आयुष्मान योजना या सरकार की दूसरी कोई योजना क्यो नही हो। इसके साथ साथ पीएम ने CAA कानून के बारे में भी लोगों को सटीक तरीके से बताया जिसका असर ये देखा जा रहा है कि देश में पीएम के भाषण के बाद कही से भी कोई बड़ी हंगामे की खबर सामने नही आई। पीएम ने साफ कहा कि उनके लिये 130 करोड देशवासी VIP है और उनके हित में वो लगातार काम करते रहेगे।
विपक्ष की चाल को किया पैदल
CAA ,NRC को लेकर विपक्ष जिस तरह से बयान बाजी कर रहा था उसका दम भी पीएम मोदी ने अपने शब्दों के बाण से खत्म किये पीएम मोदी ने जब विपक्ष से पूछा कि वो मोदी की बात को सही नही मानते है तो क्या वो राष्ट्रपिता गांधी जी के बयानों को भी नही मानते है क्योकि जो कानून बनाकर हम शरणार्थियों को नागरिकता दे रहे है वो इच्छा तो बापू की ही थी। क्या विपक्ष इस बात को नकार सकेगा। साथ ही साथ विपक्ष के झूठ की पोल ऐसी खोली की जनता बस मोदी मोदी कहते हुए नजर आई। पीएम ने विपक्ष से पूछा कि NRC को लेकर विपक्ष इतना हल्ला जो मचा रहा है अभी सरकार न लोकसभा में न कैबिनेट में इसके लिये कोई बिल लाई फिर विपक्ष क्यो हल्ला मचाने में लगी हुई है। उन्होने विपक्ष से अपील की कि उनकी लड़ाई मोदी से है तो वो मोदी का विरोध करे मोदी का पुतला फूंके लेकिन देश की संपत्ति को नुकसान न पहुंचाये। इस भावुक अपील का ही असर है कि देश में आज किसी भी शहर में हिंसा तो दूर कही पर प्रदर्शन भी नही देखा जा गया।
सच में हर बार जब कोई दिग्गज नेता मेरे पहलू से हुंकार भरता था, तो मुझे यही लगता था कि ये देश हितों से ज्यादा अपनी सियासत औऱ यहां आई भीड़ को दिखाकर अपनी शक्ति दिखाना चाहता है लेकिन पहली मोदी जी जैसे जैसे भाषण दे रहे थे मेरी अत्मा से यही आवाज आ रही थी कि युगो बाद ऐसा नेता मिलता है जो अपने लिये नही देश और देशवासियों के लिये सोचता है..

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