गणतंत्र दिवस से पहले सरकार ने कल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की कश्मीर घाटी में पोस्टपेड और प्रीपेड फोन पर 2जी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी हैं। हालांकि इसका उपयोग जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा स्वीकृत 301 वेबसाइट तक पहुंच के लिए किया जा सकता है। इन साइट्स में बैंकिंग, शिक्षा, समाचार, यात्रा, जन सुविधाओं और रोजगार से संबंधित सर्च इंजन शामिल हैं। इसमें कोई भी सोशल मीडिया साइट शामिल नहीं है। पिछले वर्ष 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर घाटी में पहली बार सभी पोस्टपेड और प्रीपेड मोबाइल फोन पर टू-जी इंटरनेट सेवा बहाल की गई है।
फिलहाल, यह सुविधा 25 से 31 जनवरी 2020 तक रहेगी। उसके बाद समीक्षा के आधार पर इसे विस्तार देने पर फैसला लिया जा सकता है। गृह विभाग ने अपने आदेश में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को यह सुनिश्चित करने का दायित्वक भी सौंपा है कि मोबाइल डेटा सेवा के माध्यतम से केवल प्रशासन द्वारा स्वीकृत साइटों को ही देखा जा सके।
कश्मीर घाटी में प्रीपेड मोबाइल सेवा फिर शुरू करने और जम्मू डिवीजन में प्रतिबंध मुक्त 2जी मोबाइल डेटा सर्विस की बहाली के एक सप्ताह के भीतर कश्मीर घाटी में भी 2जी मोबाइल इंटरनेट सेवा फिर शुरू करने का फैसला किया गया है।
पिछले वर्ष पांच अगस्त को लगाई गई थी पाबंदियां
पिछले वर्ष पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की घोषणा से पहले राज्य प्रशासन ने पूरे जम्मू कश्मीर में इंटरनेट और टेलीफोन सेवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया था। जम्मू प्रांत में अगले दो दिन में ही सभी टेलीफोन सेवाएं पूरी तरह सामान्य हो गई थी, सिर्फ मोबाइल इंटरनेट सेवा को बंद रखा गया था। वहीं, जम्मू प्रांत में ब्रॉडबैंड सेवा भी शुरू से बहाल रखी गई है।
गौरतलब है कि 14 जनवरी को प्रशासन ने जम्मू प्रांत में सभी पोस्टपेड मोबाइल फोन पर 2जी इंटरनेट सुविधा बहाल कर दी थी। इसके बाद 18 जनवरी को कश्मीर घाटी में भी सभी प्रीपेड फोन बहाल किए गए, लेकिन 2जी इंटरनेट सेवा सिर्फ पोस्टपेड फोन पर और वह भी दो सीमावर्ती जिलों कुपवाड़ा व बांडीपोरा में बहाल की गई थी। वादी में ब्रॉडबैंड सेवा को भी आम उपभोक्ताओं के लिए बंद रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदियों की समीक्षा का दिया था आदेश
बताते चलें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों और नेताओं की नजरबंदी को लेकर दी गई याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते में सभी पाबंदियों की समीक्षा का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि आर्टिकल-19 के तहत इंटरनेट फ्रीडम ऑफ स्पीच के तहत आता है। इंटरनेट फ्रीडम ऑफ स्पीच का जरिया भी है। इसे बंद करना न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है। जम्मू-कश्मीर में सभी पाबंदियों पर एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाए। फिलहाल के लिए जहां जरूरत हो वहां तत्काल प्रभाव से इंटरनेट सेवाएं शुरू की जाएं। जिसके बाद ही सरकार ने इंटरनेट सेवाएं बहाल किया है।

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