हमारा देश भारत अन्तरिक्ष के क्षेत्र में एक महाशक्ति है| भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) विश्व के शीर्ष की अन्तरिक्ष इकाइयों में से है| जिसके अभियान के सफलता का प्रतिशत दुनिया में सबसे ज्यादा है| लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक अन्तरिक्ष मिशन के पीछे कितने वैज्ञानिकों की मेहनत और कितने अलग-अलग विभागों का योगदान होता है? आज IndiaFirst अपने पाठकों को इसरो की कार्यप्रणाली और एक अन्तरिक्ष मिशन के पीछे लगी अदम्य मेहनत और जटिलता की कहानी बताने जा रहा है|
आपको जनता आश्चर्य होगा कि इसरो का एक मिशन देश भर में फैले इसरो के 15 अलग-अलग केन्द्रों के करीब 16,000 वैज्ञानिकों की मेहनत और तालमेल के बाद सफल होता है| आइये जानते हैं इसरो के किस केंद्र का क्या योगदान है:-
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर – केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के जिम्मे एयरोनॉटिक्स, एवियोनिक्स, व्हीकल इंटीग्रेशन, केमिकल्स, प्रोपल्शन तथा राकेट डिजाईन जैसे क्षेत्रों के अनुसंधान का जिम्मा है|
सतीश धवन स्पेस सेंटर – आन्ध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से उपग्रह लांच किये जाते हैं| चेन्नई से 100 किलोमीटर दूर इस केंद्र में ही इसरो का मिशन कण्ट्रोल सेंटर भी है जहाँ राकेट और उपग्रह के लांच के बाद अन्य संबंधित प्रणालियों पर नजर रखी जाती है|
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर – हमारे देश में दो लिक्विड प्रोपल्शन सेंटर हैं, एक तिरुवनंतपुरम के वलियामला क्षेत्र में, दूसरा बेंगलुरु में स्थित है| यहाँ राकेट का लिक्विड प्रोपल्शन स्टेज (तरल ईंधन वाला हिस्सा) तैयार होता है|
इसरो प्रोपल्सन कॉम्प्लेक्स – इस केंद्र में रॉकेट में उपयोग होने वाले इंजन हैसे क्रायोजेनिक इंजन, थस्टर्स और सामान्य इंजन इत्यादि का निर्माण होता है| ये केंद्र तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में स्थित है|
यूआर राव सैटेलाइट सेंटर – देश में बनने वाले करीब करीब सभी उपग्रह यहीं बनाये जाते हैं| इसके अलावा उपग्रह की कार्यप्रणाली तथा किसी उपग्रह के विभिन्न हिस्सों के निर्माण का कार्य किस केंद्र में हो, ऐसी बातों का निर्णय भी यहीं लिया जाता है| बेंगलुरु में स्थित इस सेंटर को पहले इसरो सैटेलाइट सेंटर के नाम से भी जाना जाता था|
स्पेस एप्लीकेशन सेंटर – अहमदाबाद स्थित इस सेंटर में उपग्रहों और रॉकेटों में लगने वाले पेलोड्स और कम्यूनिकेशन, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम, अर्थ ऑब्जरवेशन, ट्रांसपोंडर्स से संबंधित सॉफ्टवेयर का निर्माण होता है|
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर – इस सेंटर का काम रिमोट सेंसिंग सेंटर का डाटा जुटाने, उन्हें बाकी केंद्रों को देने और आपदा प्रबंधन में सरकार की मदद करना है| हैदराबाद स्थित ये सेंटर डिजिटल मैपिंग तथा एरियल इमेजेस से जुड़े कार्यों का निपटारा भी करता है|
इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क – यह केंद्र सभी उपग्रहों के मार्ग की जानकारी देता है| उपग्रहों की वर्तमान में, उसका मार्ग इत्यादि यहाँ तय किया जाता है| यह सेंटर बेंगलुरु के पीनिया में स्थित है लेकिन इसके बाकि के केंद्र लखनऊ, मॉरिशस, श्रीहरिकोटा, पोर्ट ब्लेयर, तिरुवनंतपुरम, ब्रुनेई, और बायक (इंडोनेशिया) में भी हैं|
इसरो इनर्शियल सिस्टम्स यूनिट – तिरुवनंतपुरम स्थित इसरो इनर्शियल सिस्टम्स यूनिट रॉकेट के लॉन्च होने के लिए जरूरी शुरुआती प्रोग्राम और नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है| यही वह जगह है जो यह निर्धारित करती है कि मिशन कैसे सस्ता, टिकाऊ और भरोसेमंद रहे और दुनिया में देश का नाम ऊंचा कर सके|
मिशन कंट्रोल फैसिलिटी – यह इनसेट, जीसैट, कल्पना, और आईआरएनएसएस श्रेणी के उपग्रहों की निगरानी करता है| यह सेंटर उपग्रहों की कक्षा, जरूरत के मुताबिक कक्षा में बदलाव और बुरे हालात में उपग्रहों की रिकवरी का काम भी करता है| यह केंद्र कर्नाटक के हासन में स्थित है और इसकी एक इकाई भोपाल में भी है|
लेबोरेटरी फॉर इलेक्ट्रो-ऑपटिक्स सिस्टम्स – बेंगलुरू स्थित इस सेंटर में रॉकेटों और उपग्रहों में लगने वाले सेंसंर्स (अर्थ सेंसर, स्टार सेंसर, सन सेंसर, मैग्नेटिक सेंसर इत्यादी) बनाए जाते हैं| साथ ही यहां पर रॉकेटों और सैटेलाइट पर लगने वाले कैमरों का निर्माण भी होता है|
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग – देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग सेंटर में रिमोट सेंसिंग और जियो इंफॉर्मेटिक्स से संबंधित बनाये जाते हैं| यह सेंटर संयुक्त राष्ट्र के सेंटर फॉर स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजुकेशन इन एशिया एंड पैसिफिक के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाता है|
डेवलपमेंट-एजुकेशनल कम्यूनिकेशन यूनिट – अहमदाबाद स्थित इसरो के डेवलपमेंट एंड एजुकेशनल कम्यूनिकेशन यूनिट में उपग्रहों के बीच होने वाली संचार प्रणाली, तथा समाज के लिए उपयोग में आने वाली प्रणालियों को विकसित किया जाता है|
अन्तरिक्ष कॉर्पोरेशन लिमिटेड – भारत सरकार की यह कंपनी इसरो की व्यवसायिक इकाई है| यह विदेशी और देसी ग्राहकों से इसरो की सेवाओं के लिए सौदा करती है| किस देश के कितने उपग्रह छोड़े जाएंगे, उसकी कितनी कीमत आएगी ये सब काम इस कंपनी के हिस्से है| इसके अलावा ट्रांसपोंडर्स लीज सर्विसेज का काम भी इसी के जिम्मे है|

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